आपको भी जानकर हैरानी होगी कि कैसे चमत्कारी बोतल 100 रोगों को करेगी दूर। आज का हमारा आर्टिकल इसी बारे में है कि चमत्कारी बोतल 100 रोगों को करेगी दूर। हम इस आर्टिकल के जरिए आपको बताएंगे कि कैसे आप सोलराइज्ड वाटर बना सकते हैं। जो आपके रोगों को दूर करने की क्षमता रखता है।
यह अलग-अलग कलर की अलग-अलग बोतलों के द्वारा बनाया जाएगा यह वह कलर है जो सूरज की किरणों से मिलते हैं। तो क्या है यह सोलराइज्ड वाटर बनाने का प्रोसेस। यह जानने के लिए आपको इस आर्टिकल को अच्छे से पढ़ना होगा। जिससे आपको पूरा प्रोसेस पता चल सके।
ऐसे चमत्कारी बोतल 100 रोगों को करेगी दूर
आप तो जानते ही हैं। सूरज की किरणों में सात रंग होते हैं जो कि इंद्रधनुष में भी होते हैं और वही सात रंग हमारे शरीर के अंदर भी होते हैं। हम उन्हीं रंगों की बोतलों का इस्तेमाल करके। उसमें पानी डालकर सोलराइज्ड वाटर बनाने का प्रोसेस बताएंगे। यह सोलराइज्ड वाटर आपको 100 रोगों से लड़ने की क्षमता देने वाला है। यह प्रोसेस आप को ध्यान पूर्वक पढ़ना है। ताकि आपको अच्छे से समझ आ सके।
सोलराइज्ड वाटर बनाने का प्रोसेस
- आपको सबसे पहले सात रंगों की अलग-अलग बोतल लेनी है या फिर अगर आप कम बोतल लेना चाहते तो इन सात रंगों में से किसी भी रंग की बोतल ले सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे यह बोतल ऊपर से अच्छी तरह बंद होनी चाहिए और जो ढक्कन ऊपर लगा हो वह टाइट होना चाहिए।
- फिर आपको कोई लकड़ी की टेबल या फिर लकड़ी का बोर्ड चाहिए। जिनके ऊपर यह बोतल रखनी होती है। क्योंकि अगर आप सीधा इसे धरती पर रखते हैं तो इसमें अर्थिंग होती है। जो इसमें बन रहे वाटर को कम इफेक्टिव बना देती है।
- फिर आपको सारी बोतल या फिर आप जितनी बोतल चाहते हैं। उतनी बोतल में पानी भर लेना है और यह पानी बोतल के तीन भाग हिस्से में होना चाहिए। एक हिस्सा खाली होना चाहिए और इसको ऊपर से टाइट से बंद कर देना है।
- फिर इन बोतल को आपको सुबह सूरज निकलने के एक घंटे बाद सूरज की रोशनी में छत पर लकड़ी के बोर्ड पर रखना है और शाम को सूरज छिपने से एक घंटा पहले इन बोतल को उठाकर नीचे ले आना है। सभी बोतल रखते हुए इस बात का ध्यान देना है कि एक बोतल की परछाई दूसरी बोतल पर नहीं आनी चाहिए। इस तरीके से आपका सोलराइज्ड वाटर बन जाएगा।
- इस बोतल में इस्तेमाल किया गया पानी सिंपल नल का होना चाहिए। आरो या फिर फ्रिज के पानी का इसमें इस्तेमाल नहीं करना है।
- एक बार जब आपका सोलराइज्ड वाटर बन जाता है तो उसके बाद आपको इसे तीन दिन के अंदर खत्म करना है और एक बारी में 15 से 20 एम एल सोलराइज्ड वाटर का इस्तेमाल करना है।
- अगर आपके द्वारा बनाया गया सोलराइज्ड वाटर 3 दिनों के अंदर खत्म नहीं होता है या फिर बच जाता है तो आप दोबारा इसी प्रोसेस से नया सोलराइज्ड वाटर बना सकते हैं।
- आपको एक बात का ध्यान रखना है। सोलराइट वाटर बन जाने के बाद इसे नीचे लकड़ी के ऊपर ही रखना है। इसे फ्रीज में या फिर किसी और जगह पर न रखें।
Disclaimer हमारे द्वारा बताया गया प्रोसेस डॉक्टर केवल कृष्ण नेचरोपैथ द्वारा सुझाया गया है। कोई भी डाइट, दवाई, उपचार, करने से पहले आपको डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी है।
आज हमने आपको इस आर्टिकल में बताया कि कैसे चमत्कारी बोतल 100 रोगों को करेगी दूर और हमने आपको सोलराइज्ड वाटर बनाने का प्रोसेस भी बताया है। अगर आप ऐसे ही इनफॉर्मेटिव पोस्ट और पाना चाहते हैं। आप हमारे ब्लॉग को फॉलो कर सकते हैं। अगर आप हमें अपना कोई सुझाव देना चाहते हैं या फिर हमसे कुछ जानना चाहते हैं। आप हमें कमेंट कर सकते हैं।