एक चादर से शरीर के विषैले पदार्थ आएंगे बाहर

डॉक्टर मयंक पोरवाल और नेचुरोपैथी लीना श्री ज्ञान के द्वारा बताया गया तरीका जिसमें सिर्फ एक चादर के पूरे शरीर के विषैले पदार्थ आएंगे बाहर अब यह कैसे होगा इसके लिए आपको यह आर्टिकल अच्छे से पढ़ना होगा

वेट शीट पैड प्रोसेस

  • वेट शीट पैड प्रोसेस हाइड्रोथेरेपी के अंदर आता है। पहले हम अपने घर में जमीन पर ही कोई कपड़ा या मैट डाल लेंगे।
  • इसके बाद फिर एक पतला कंबल लेना है और जमीन पर जो कपड़ा बिछाया उसके ऊपर बिछा देना है।
  • उसके बाद एक और साफ चादर को कंबल के ऊपर बिछा देंगे।
  • फिर बाद दो सफेद सूती चादर लेनी है फिर जिसे हम ठंडे पानी में डूबा कर अच्छे से निचोड़ लेंगे।
  • अब दोनों चादर बिछा लेनी है।
  • इसके बाद मरीज को इस पर सीधा लेटा ले। और यदि मरीज को कहीं चोट या इंफेक्शन है तो उसे अलग से छोटे तोलिए से कवर कर देना है। जिससे पूरे शरीर पर इंफेक्शन ना फेले।
  • उसके बाद पेशेंट के दोनों हाथ ऊपर करा देने हैं और चादर को एक साइड से लपेट लेना है और एक पैर को चादर के अंदर रेप करना है उसी तरह फिर दूसरी साइड से भी चादर को लपेटना है। और अपने दोनों हाथों को भी चादर के अंदर कर लेना है।
  • इसके बाद मरीज के ऊपर सूखी चादर को भी अच्छे से लपेट देंगे।
  • फिर इसी प्रकार हम कंबल को भी अच्छे से लपेट देंगे।
  • इस प्रोसेस में मुंह खुला रहेगा और बाकी पूरा शरीर अच्छे से लपेट देना है। और ध्यान रखना है कि बाहर से कोई भी हवा मरीज के शरीर पर नहीं लगनी चाहिए
  • इसके बाद आपको एक सूखा टॉवल लेना है और फेस के चारों ओर लपेट देना है जिससे हवा कहीं से भी एंटर ना कर पाए।
  • यदि हमारे शरीर के अंदर हवा जाएगी तो हमारा शरीर ठंडा होने लगेगा और इस प्रोसेस से होने वाले फायदे के बजाय यह प्रोसेस मरीज को बहुत नुकसान देगा।
  • इस प्रोसेस को और अच्छा करने के लिए हम दो गर्म पानी की बोतल को पैरों के नीचे रख देंगे जिससे मरीज को जल्दी पसीने आए।
  • कुछ समय पश्चात लगभग 5 से 10 मिनट बाद ही मरीज को पसीने आने शुरू हो जाएंगे और पसीने से क्या होता है कि जो हमारे बॉडी के टॉक्सिंस है यूरिक एसिड, करेटिनाइन, यूरिया है तो वह धीरे-धीरे करके बाहर आने लगते हैं। और यदि मरीज को घबराहट शुरू होती है और बेचैनी होती है तो वह अपने हाथों को हिलाएगा तो हमें कुछ नहीं करना है केवल पेशेंट के सर के नीचे हाथ लगाकर हल्का सा बैठाना है। और थोड़ा सा पानी पिलाएंगे।
  • पानी प्रोसेस शुरू करने से पहले भी पेशेंट को पिला सकते हैं और यदि बीच में घबराहट होती है तो पानी हमें पेशेंट को पिलाना है। जिससे पेशेंट को दिक्कत ना हो। या मरीज को अगर घबराहट होती है तो उसे बैठाकर 10-10 मिनट के गेप में नींबू पानी पिला देंगे।
  • यदि मरीज तंबाकू खाता है या अल्कोहल लेता है तो जब हम चादर हटाएंगे तो 2 लेयर हटाते ही हमें बदबू आनी शुरू हो जाएंगे। चादर की सभी लेयर हटाने के बाद जो हमने चोट पर छोटा तोलिया डाला था उसे लास्ट में हटाएंगे। क्योंकि इंफेक्शन और जगह ना फैले इसलिए हमने स्कोर सेफ्टी के लिए यूज किया है।
  • जो स्ट्रांग पेशेंट है उसमें ध्यान रखना है कि हमें साफ चादर एक के बजाय दो या तीन साफ चादर की लेयर ले लेंगे और जो कमजोर पेशेंट या बच्चा हैं तो उनके लिए चादर की संख्या नहीं कंबल की संख्या बढ़ाएंगे।
  • यह प्रोसेस हम घर पर आराम से कर सकते हैं परंतु इस प्रोसेस को करने से पहले आपको नेचुरल पैथी से सलाह जरूर लेनी चाहिए। क्योंकि कई बार क्या होता है कि पेशेंट को बहुत ज्यादा घबराहट होने लगती है और घर वालों को इस बात का आईडिया नहीं होता है। और मरीज को बार-बार पानी पिलाते रहे। यह प्रोसेस टोटल हीट रेडिएशन की थ्योरी पर काम करती है।
  • बहुत से लोग कहते हैं कि चादर लपेटने से क्या हो जाता है। तो यह कंप्लीट हिट रेडिएशन की थ्योरी पर काम करता है। क्योंकि जब हम गीली चादर लपेटते हैं तो हमारे शरीर की सभी नसें सूकूड जाती है। और ऊपर कंबल की लेयर डालने से नसें फैलना शुरू हो जाती है। जिससे खून का फ्लोर ऊपर की ओर आने लगता है जो टॉक्सिंस की फॉर्म में निकलने लगता है। यदि आपका यूरिया या टॉक्सिक बढ़ गया है तो आप इस प्रोसेस को कर सकते हैं। इस प्रोसेस को हमें हफ्ते में एक या दो बार करना चाहिए। इस प्रोसेस से आप अपनी बॉडी को घर पर ही डिटोंक्साइड कर सकते हो।
  • महात्मा गांधी के बड़े बेटे नीलाल मणिकांत गांधी को एक बार सीवियर फीवर या काला बुखार लगा था। और वे किसी भी डॉक्टर की दवाइयों से ठीक नहीं हुए थे इसके बाद महात्मा गांधी ने इसी प्रोसेस से अपने बेटे का इलाज किया था। और वे सौ फीसदी उसमें सफल हुए थे।
  • वेट शीट पैड प्रोसेस से नॉर्मल बुखार, टाइफाइड हो, नींद ना आती हो, हाइपरटेंशन की प्रॉब्लम, चर्म रोग की प्रॉब्लम है, शरीर में चोट लगी है, शरीर में सूजन है या पूरे शरीर में दर्द रहता है यह प्रोसेस हर बीमारी में काम करेगा।

सावधानी

  • इस प्रोसेस को करते समय आपको इस बात का ध्यान रखना है कि आप को ठंड से बुखार ना चढ़ रहा हो, बच्चों को इस प्रोसेस को नहीं देना चाहिए या कोई भी ऐसी दिक्कत ना हो जो आपको गीली चादर से नुकसान पहुंचाए।
  • यदि बॉडी का टेंपरेचर ठंडा है तो मरीज को वार्म अप करके यह प्रोसेस देना चाहिए।
  • अगर मरीज को मामूली बुखार है तो मरीज को 15 से 30 मिनट के लिए इस प्रोसेस को करना चाहिए।
  • यदि मरीज एंजाइटी या डिप्रेशन का मरीज है तो इस प्रोसेस को 1 घंटे तक कर सकते हैं।
  • यदि मरीज को बहुत पुरानी बीमारी है तो यह प्रोसेस 3 से 4 घंटे देंगे।

Disclaimer – इस आर्टिकल में हमने आपको एक चादर की मदद से शरीर के विषैले पदार्थ बाहर निकालने की प्रक्रिया बताई है किसी भी दवाई डाइट उपचार को फॉलो करने से पहले आपको अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी है।

Dr. Mayank Porwal

Naturopath, Holistic Therapist

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