Cupping therapy से ठीक होंगे शरीर के अनेकों रोग

Cupping Therapy क्या है ?

Cupping Therapy मे हमारे शरीर और खून की अशुद्धियाँ और विषैले पढ़ार्थों को शरीर से बाहर निकाल जाता है। ये एक ऐसी थेरपी है जिसमे हमारी त्वचा पर विशेष तरह के कप लगाए जाते हैं। त्वचा पे जिस जगह ये कप लगाए जाते हैं ये वहाँ वैक्युम बना देता है जिस वजह से वहाँ के टिशू(tissue) सूज जाते हैं उस जगह पे खून का बहाव(blood flow) बढ़ जाता है।इसलिये इस थेरपी को वैक्युम कपींग(vaccum cupping) के नाम से भी जाना जाता है।

Cupping Therapy
Cupping Therapy

कप के नीचे बढ़ा हुआ खून का बहाव, हमारे शरीर की अशुद्धियों और विषैले पढ़ार्थों को आस-पास के टिशू और अंगों से हटाकर त्वचा की सतह की ओर आ जाता है।ये एक बहुत पुरानी उपचार की पद्धति है जो कई बीमारियों को ठीक करने के काम मे आती है। जैसा कि हम जानते हैं बहुत सारी बिमारी का जड़ हमारे खून मे जमे विषैले पढ़ार्थ होते हैं तो इस थेरपी से उन्ही पढ़ार्थों को बाहर निकाल के रोग का इलाज किया जाता है। शरीर से ऐसे पदार्थ को बाहर निकलने को Detox भी कहते हैं।

तो आज करनालप्लस के इस आर्टिकल मे हम Dr. Mayank Porwal से जानेंगे कि इस थेरपी को कैसे करते हैं , इसके फायदे, इससे किन रोगों को ठीक किया जा सकता साथ ही साथ ये भी समझेंगे कि इसको करते समय किन सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए ।

Cupping Therapy कैसे करते हैं

इसका ये फायदा है कि एक साथ काफी सारे कप हम शरीर के अलग अलग हिस्सों मे लगा सकते हैं। जिन हिस्सों पर ये कप लगाए जाएंगे ये उस जगह से विषैले पदार्थ को निकलने का काम करता है। इस थेरपी मे अलग अलग आकार के कप इस्तेमाल होते हैं। ये इस बात पे निर्भर करता है कि हम कप को शरीर के किस हिस्से पर लगा रहे हैं।क्योंकि कप के आकार के हिसाब से ही वैक्युम बनता है। जैसे पैरों पर छोटे आकार के कप लगते हैं लेकिन पीठ पर हम बड़े कप भी लगा सकते हैं और छोटे आकार के भी।

इसका फायदा तभी होता है जब हम शरीर के किसी हिस्से पर सही आकार के कप लगाते हैं। इस थेरेपी को घर पर करने के लिए इसका सही ज्ञान होना जरूरी है, ये पता होना भी जरूरी है की शरीर के किस हिस्से पर की आकार के कप लगेंगे।

कप कितनी देर लगाके खाने हैं ये इस बात पे निर्भर करता है कि इसका इस्तेमाल किस लिए किया जा रहा है और शरीर की बनावट कैसी है। जैसे अगर इसका इस्तेमाल सिर्फ डिटॉक्‍स(detox) के लिए किया जा रहा हो तो 10 मिनट ही काफी हैं और अगर इसका इस्तेमाल कोई bodybuilder कर रहा हो तो 10-15 काफी है। इससे ज्यादा करने पर इसका इस्तेमाल करने पर इस थेरेपी से नुकसान भी हो सकता है। इसलिये इसका इस्तेमाल अपनी शरीर के हिसाब से और बीमारी के अनुसार ही करना चाहिए।

कपींग थेरपी के फायदे

  • खून का बहाव तेज होता है ।
  • कमर दर्द मे ये बहुत मददगार है ।
  • रीड़ की हड्डी मे कोई दिक्कत हो तो इस थेरपी से काफी लाभ होता है ।
  • साइटिका(sciatica) और सर्वाइकल(cervical) के लिए ये थेरेपी बहुत अच्छी होती है।
  • लिवर के लिए भी ये बहुत फायदेमंद होती ।
  • शरीर के हर अंग के लिए ये बहुत लाभदायक होती है।

Cupping Therapy करते समय बरतें ये सावधानियाँ

  • पहली बार अगर ये कर रहे हो हो किसी पेशेवर से कराए और अच्छे से जानकारी लेने के बाद ही खुद कोशिश करें।
  • ये थेरपी करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि कप को उन हिस्सों मे ना लगाएँ जहां कोई सनसनी(sensation) हो, या जहां की त्वचा जली हो, कटी हुई हो या कोई चोट लगी हो।
  • इस थेरेपी को छोटे बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवती(pregnant) महिलाओं को नहीं करना चाहिए।
  • इसको करने के लिए शरीर का मजबूत होना बहुत जरूरी है। क्योंकि इसमे खून का बहाव बहुत तेजी से बढ़ता है।

Disclaimer – KarnalPlus के इस आर्टिकल मे हमने Dr. Mayank Porwal से जाना कपींग थेरेपी के बारे मे इसके फायदे, इसको करने का तरीका और इसकी सावधानियाँ।कोई भी उपाय, सुझाव, दवा, डाइट या नुस्खा आजमाने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह अवश्य ले और अपने विवेक से काम ले।

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Dr. Mayank Porwal

Naturopath, Holistic Therapist

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