चॉक, बाल, मिट्टी, सिमेन्ट बर्फ अगर घर के छोटे बच्चे या फिर बड़े अगर ये सारी चीजें खाते हैं तो थोड़ा सावधान होने की जरूरत है क्योंकि ये सारी चीजें लक्षण हैं उस बिमारी के जिसको कहते हैं पिका या पाइका रोग(pica disease)। आज करनालप्लस के इस आर्टिकल में Naturopath Leena Srigyan से हम समझेंगे इस रोग का कारण और क्यों चाहत होती है ऐसी चीजों को खाने की ये भी जानेंगे।
पाइका रोग क्या है ? पाइका इटिंग डिसॉर्डर/pica eating disorder
इस रोग में ऐसी चीजें को खाने की चाहत होती है जो गैर खाद्य पदार्थ(non food items) हैं या जिन्हे खाना नहीं चाहिए। ऐसी चीजें जिनमें कोई पोशाक तत्व(nutritional value) या पोषण नहीं होता। चॉक या मिट्टी के बर्तन के टुकड़े खाने की इच्छा आम तौर पर बच्चों में या गर्भवती महिलाओं में होती है।
पिका रोग किस कारण से होता है या पिका बिमारी के कारण क्या हैं ? Pica disease
- पाइका बीमारी का मुख्य कारण होता ज़िंक(zinc), कैल्सीअम(calcium) या आइरन(iron) की कमी और इन्ही कमी को पूरा करने के लिए कई बार बच्चों और गभवती महिलाओं में ऐसी चीजों को खाने की चाहत होती है।
- इसका एक कारण पेट में होने वाले कीड़ों को भी माना जा सकता है।
- कई बार इसकी वजह मानसिक भी हो सकती है जैसे तनाव, डिप्रेशन या मानसिक रोग जैसे सिजोफ्रेनिया(schizophrenia) या ओसीडी(OCD)।
- जो बच्चे ज्यादातर अकेले रहते हैं या जिन्हे माँ या पिता का ज्यादा ध्यान नहीं मिलता उनमें भी ये समस्या हो सकती है।
पाइका का इलाज कैसे करें ?
- अगर गर्भावस्था(pregnancy) के दौरान महिलाओं में ऐसी चाहत होती है तो इसमें कोई घबराने वाली बात नहीं है क्योंकि डेलीवेरी के बाद ऐसी अवस्था या चाहत नहीं रहेगी।
- इसके अलावा जैसा की हमने पहले समझ कि मिट्टी , चॉक आदि खाने की इच्छा ज़िंक, कैल्सीअम या आइरन की कमी की वजह से होती तो इन पोशाक तत्वों की आपूर्ति से भी ऐसी चीजें खाने की इच्छा नहीं रहती। इसके लिए कोई सही पोषण वाली डाइट या फिर मल्टी-विटामिन लिए जा सकते हैं।
- अगर ये किसी मानसिक कारण से हो रहा है तो इसके लिए किसी अच्छे सलाहकार(counsellor) से जरूर परामर्श लें।
Disclaimer– Karnalplus के इस आर्टिकल में Naturopath Leena Srigyan ने पाइका बीमारी, pika eating disorder, और इसके इलाज मे बारे में बताया है । कोई भी उपाय, सुझाव, दवा, डाइट, थेरेपी या नुस्खा आजमाने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह अवश्य ले और अपनी समझ से काम ले।
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