मांसपेशियों मे जकड़न, सर्वाइकल या कमर दर्द जैसी बीमारियाँ आजकल बहुत आम हो गई हैं और ये आजकल किसी भी उम्र के लोगों को हो सकती हो सकती हैं चाहे इंसान उम्र दराज़ हो या युवा। इस वजह से कई लोगों को बैठने मे, उठने मे, लेटने मे और झुकने मे काफी दर्द होता है। जिस कारण नॉर्मल बॉडी मूवमेंट करना भी काफी मुश्किल हो जात है।
कई बार ऐसी समस्या प्रेग्नेंट महिलाओं को भी होती है। इन समस्याओं के कई कारण हो सकते हैं। लेकिन सबसे बाद कारण है लाइफस्टाइल आजकल ज्यादातर काम चाहे ऑफिस में हो या घर पर सभी एक जगह घंटों बैठ के ही होते हैं। और ज्यादातर लोग ऑफिस मे 8 से 10 घंटे कुर्सी पर बैठ कर ही काम करते हैं। घर पर भी लोग घंटों टीवी, कंप्युटर या मोबाईल लेकर बैठे या लेटे रहते हैं। और इस वजह से ये समस्या बढ़ती जा रही है।
सर्वाइकल या शरीर मे किसी तरह की जकड़न के लिए लोग पेन किलर दवाइयाँ लेते हैं। लेकिन इन दवाओं के लंबे प्रयोग से शरीर पे दुष्प्रभाव पड़ता है और अगर परिस्थिति ज्यादा खराब हो तो सर्जरी तक की नौबत आ सकती है। इसलिये आज करनालप्लस के इस आर्टिकल मे समझेंगे काइरोप्रैक्टिक थेरेपी(Chiropractic therapy) और काइरोप्रैक्टिक एडजस्टमेंट(Chiropractic Adjustment) से किस तरह शरीर की जकड़न और सर्वाइकल का इलाज किया जा सकता है बिना किसी दवा या सर्जरी के।
क्या है काइरोप्रैक्टिक थेरेपी ?
Chiropractic therapy एक प्रकार की चिकित्सा पद्धति या थेरेपी है जिसमे हाथों के उपयोग से रीढ़ की हड्डी या शरीर के किसी अन्य हिस्से से जुड़े दर्द, जकड़न का इलाज किया जाता है। पीठ मे में दर्द, सरदर्द, सर्वाइकल, हाथ या पैरों से जुड़ी किसी समस्या के लिए भी इस थेरेपी का उपयोग किया जाता है।
काइरोप्रैक्टिक एडजस्टमेंट क्या होता है ?
Chiropractic Adjustment एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें प्रशिक्षित विशेषज्ञ (कायरोप्रैक्टर्स) रीढ़ की हड्डी के जोड़ पर नियंत्रित, अचानक बल लगाने के लिए अपने हाथों या एक छोटे उपकरण का उपयोग करते हैं। इस प्रक्रिया का लक्ष्य, जिसे स्पाइनल मैनीपुलेशन के रूप में भी जाना जाता है, स्पाइनल मोशन में सुधार करना और आपके शरीर के शारीरिक कार्यों में सुधार करना है।
शरीर मे जकड़न, सर्वाइकल का इलाज काइरोप्रैक्टिक थेरेपी से
इस थेरेपी के बारे मे समझने के बाद अब Dr. Varun Duggal से समझेंगे कि कैसे शरीर के किसी हिस्से मे दर्द या जकड़न को काइरोप्रैक्टिक एडजस्टमेंट से ठीक किया जाता है ।
पीठ की जकड़न के लिए thoracic spine पर हाथों से थ्रस्ट दिया जाता है जो की पीठ के ऊपरी और मध्य भाग में होती है।
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इसी तरह कमर की जकड़न के लिए PSIS joint पर थ्रस्ट दिया जाता है जो की कूल्हे के ऊपर की हड्डी होती है।
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अगर टखने जाम हो तो इसके लिए टखनों पे थ्रस्ट(ankle thrust) देते हैं ।
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बैठने के दौरान कई लोगों को काफी दर्द होता है वो कई बार इसलिये होता की टेल बोन खिसकी होती है। इसके लिए टेल बोन पर दोनों साइड से थ्रस्ट दिया जाता है।
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गर्दन और कंधों के दर्द के लिए गर्दन को थ्रस्ट दिया जाता है।
काइरोप्रैक्टिक थेरेपी सिरदर्द का इलाज
हमारी गर्दन मे C1 और C2 के रूप में जाना जाने वाला सर्वाइकल vertebrae होता है। जिन लोगों का C1 ब्लॉक हो उनको लगातार सिरदर्द बना रहता है।
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इसके लिए भी गर्दन मे हल्का सा थ्रस्ट दिया जाता है।
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इसी तरह शरीर मे जिस हिस्से मे दर्द हो या वहाँ जकड़न हो ऊपर अलग अलग प्रकार से थ्रस्ट दिया जाता है। जिससे उस हिस्से की जड़कन खुल सके। जकड़न खुलने से अगर किसी को उठने, बैठने या लेटने मे दर्द या किसी तरह की तकलीफ महसूस होती हो तो वो भी ठीक हो जाती है।
लेकिन ये थेरपी कभी खुद से नहीं करनी चाहिए इसलिये लिए हमेशा पेशेवर की मदद लेनी चाहिए।
Disclaimer – KarnalPlus के इस आर्टिकल मे Dr. Varun Duggal ने ये बताया है की कैसे काइरोप्रैक्टिक एडजस्टमेंट के द्वारा शरीर के अलग अलग हिस्सों की जकड़न और दर्द को ठीक किया जा सकता है। लेकिन ये काइरोप्रैक्टिक एडजस्टमेंट खुद से घर पर करने की कोशिश ना करें और किसी पेशेवर की सहायता अवश्य लें।
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