सत्तू भारतीय उपमहाद्वीप का एक प्रकार का देशज व्यंजन है, जो भूने हुए जौ, मक्का या चने को पीस कर बनाया जाता है। जों के सत्तू का इस्तेमाल ज्यादातर बिहार में किया जाता ह। सत्तू को तैयार करने की प्रक्रिया बहुत ही पुरानी है और इसे पुरातन रूप में सात अनाज के नाम से जाना जाता है।
आज करनाल प्लस पर NATUROPATH RAMESH LAL ARORA लेकर आए हैं एक ऐसा तरीका जो आपको गर्मी में लू और 21 तरह के अद्भुत लाभ दिलाएगा जो आपके पेट को आराम देगा।
सत्तू कितने प्रकार का होता है
- जौं का सत्तू
- चावल का सत्तू
- चने और जौं का सत्तू
- जौं, गेहूं व चने का सत्तू
सत्तू खाने से क्या फायदा होता है
इसका सेवन हमें अमान्य तौर पर खाली पेट करना चाहिए। हमें पेट से जुड़ी समस्याओं से आराम दिलाता है। सत्तू में शीतलता के गुण होते हैं जो कि हमें चिलचिलाती गर्मी से आराम दिलाता है। सत्तू हमारे शरीर में आयरन, मैग्नीशियम, सोडियम आदी की कमी को पूरा करता है। सत्तू बीपी वाले मरीजों के लिए बहुत आराम दयी होता है।
सत्तू खाने का नुकसान
जिन लोगों को स्टोन या पथरी की दिक्कत होती है उन्हें शत्रु नहीं खाना चाहिए क्योंकि इसमें कैल्शियम होता है। इसके अलावा हमें चने का सत्तू कम खाना चाहिए अगर खाना है तो इसमें जो मिलाकर खाना चाहिए क्योंकि चने खाने से पेट में गैस होती है।
जों का सत्तू कैसे बनाते हैं?
थोड़ी सी सबूत जों ले और उसे छानकर साफ कर ले। इसके बाद जों को थोड़ी देर धूप लगाकर शाम के समय उसे पानी में भिगो दें और पूरी रात ऐसे ही छोड़ ऐसा करने से जो कि जो गुणवत्ता होती है वह बढ़ जाती है यह भीगे होने की वजह से और ठंडे हो जाते हैं। अगले दिन सुबह भीगे हुए जों को पानी में से निकाल ले और उसे धूप में सुखा लें।
धूप में सुखाते हुए याद रखें कि जों पूरे ना सूखे और उसमें थोड़ी-थोड़ी नमी रहे। सुखाने के बाद जों को गैस चलाकर मीडियम फ्लेम पर भुन ले। इसके बाद जों को मिक्सी में पीसकर उसका भुसा अलग कर ले। उसके बाद जो फाइबर बचेगा उसे मिक्सी में एकदम बारीक पीस लें ताकि उसे घोलने में आसानी हो।
इसके बाद 100 ग्राम सत्तू में 1 चम्मच भुना हुआ जीरा पाउडर, 7-8 ग्राम काला नमक, स्वाद अनुसार देसी खांड और अगर आप चाहे तो इस में नींबू के रके साथ नींबु और पुदीना भी डाल सकते हैं। इसके बाद यह सब चीजों को आपस में मिला मैं और एक कप पानी में दो से तीन चम्मच यह गोल डालकर पी लें।
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