शिरोधारा थेरेपी क्या है ?
शिरोधारा दो संस्कृत शब्दों “शिरो” जिसका मतलब होता है सिर और “धारा” मतलब प्रवाह से मिलकर बना है यह एक आयुर्वेदिक उपचार तकनीक है जिसमें किसी को तरल – आमतौर पर आयुर्वेदिक या मेडिकेटेड तेल, दूध, लस्सी माथे पर डालकर थेरेपी दी जाती ।
शिरोधरा थेरपी कैसे करते हैं ?
इस थेरेपी के लिए मरीज को शवासन मे लेटा देते हैं। आँखों को गुलाब जल से भीगी रूई रखी जाती है और कानों मे भी रूई डाली जाती है, ताकि तेल या अन्य कोई तरल पदार्थ आँखों मे या कान मे ना जा पाए। फिर मरीज के आज्ञा चक्र(जो भौहों के बीच माथे के केंद्र पर होता है) पर 30 से 40 मिनट तक धीरे धीरे तेल की धार डाली जाती है। इसमे तेल की जगह, दूध, लस्सी, बादाम रोगन, देसी घी का प्रयोग भी किया जा सकता है।

शिरोधारा थेरेपी के फायदे
ऐसा माना जाता है कि शिरोधारा थेरेपी से शरीर को आराम मिलता है और ये दिमाग को भी शांत करने का काम करती है। इस थेरेपी से कई अन्य बिमरियों मे भी फायदा है। जैसे-
- अनिद्रा
- तनाव
- ब्लड प्रेशर
- बाल झड़ना या टूटना
- माइग्रेन
- पेट से संबंधित बीमारियाँ
कई बार मरीज को इसकी एक थेरेपी से ही आराम मिल जाता है कई बार एक से ज्यादा सेशन लेने पड़ते हैं। ये इस बात पर निर्भर करता है की बिमारी क्या है और कितनी पुरानी है।
Disclaimer– Karnalplus के इस आर्टिकल मे शिरोधारा थेरेपी के बारे मे बताया गया है। लेकिन इस थेरेपी को खुद से ना करें। इसके लिए किसी पेशेवर की सहायता लेनी चाहिए। कोई भी उपाय, सुझाव, दवा, डाइट, थेरेपी या नुस्खा आजमाने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह अवश्य ले और अपनी समझ से काम ले।
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